आज कल के दौर में हर दूसरे व्यक्ति में आप स्ट्रेस को जन्म लेते देखेंगे लेकिन इससे बचना कैसे है कैसे दूर रहे ये आपको कोई नही बता पायेगा। क्योंकि ज़्यादातर लोगो को ये पता ही नही होता कि उनको स्ट्रेस है या तनाव हैं। हमें टेंशन होती हैं या नही ये मैटर नही करता लेकिन आजकल की तेज रफ़्तार से चलती हुई ज़िन्दगी में अपने आप ही तनाव, स्ट्रेस हमारी ज़िंदगी मे जगह बना लेता है।
तो सोचने वाली बात यही है कि हमे अगर स्ट्रेस है भी तो हम अपने आपको इससे कैसे बचाये? कैसे अपने आप को फिट रखें? इसीसे आपके मन मे कई सवालों ने दस्तक दे दी होगी। तो अगर आप किसी चीज़ के लिए ज़्यादा स्ट्रेस में रहते है या ख़ुश नही रह पाते है तो यह भी एक लक्षण हैं।
1- मेडिटेशन से आपने मन यानी दिल और आत्मा को जोड़ सकते है यानि ध्यान लगाना ज़रूरी ही है ध्यान लगाने से हमारे दिमाग की ग्रन्थियां आपने आप काम करना शुरू कर देती है। इससे हार्मोन्स अच्छे से काम करने लग जाते हैं। जिससे बीमारी हमारे ऊपर हावी नही हो पाती।
2- जब हम ध्यान करते है तब हमारे दिमाग़ में अल्फा तरंगें तेज़ हो जाती है। इन तरंगों का ज़्यादा मात्रा में होना इस बात का प्रमाण है कि हमारा दिमाग़ शांत और स्वस्थ है।
मेडिटेशन के समय जब हम गहरी सांस लेते है तो हमारे अन्दर ऑक्सीजन से भरा हुआ ख़ून शरीर मे अच्छे से प्रवाहित होता है। इससे व्यक्ति की उदासी ओर तनाव कम होता है जिससे कि उसकी आयु भी बढ़ती है। मेडीटेशन से नकारात्मक सोच में परिवर्तन आता है ओर सकारात्मकता बढ़ती है ओर साथ ही चिड़चिड़ापन दूर होता हैं ईड़ा पिंघला और सुसुमना साँस सम्बन्धित नाड़ियां संतुलित होजाती है जिससे श्वास पर नियंत्रण पाना आसान हो जाता हैं।
मेडिटेशन ओर सात्विक भोजन से और सामान्य व्यायाम से थाइरॉइड, रूमेटाइड, अर्थराइटिस, अस्थमा जैसे रोगों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
मेडिटेशन कैसे करे:
मेडिटेशन 2 मिनट से 2 घण्टे तक किया जा सकता है। लेकिन यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उसके मस्तिष्क और शारिरिक क्षमता कितनी है।
मेडिटेशन सुबह 4 बजे से सूर्योदय तक ओर शाम को सूर्यास्त होने के 2 घण्टे बाद तक किया जाता हैं। इस समय वातावरण साफ और शुद्ध होता हैं जिससे काफी ध्यान का लाभ होता हैं। लेकिन ध्यान हमेशा खाली पेट किया जाता है। शाम के समय ध्यान करने पर दोपहर का खाना खाय हुये 2 से 3 घण्टे होने के बाद ही ध्यान करना चाहिए। इससे हमारे दिमाग के दोनों हिस्से ( हेमिसफेर ) सन्तुलित रहते हैं।
नोट- मेडिटेशन करते समय हमेशा समतल भूमि पर बैठाना चाहिए जसको गुटने की परेशानी हो वो कुर्सी में बैठ कर ध्यान कर सकता हैं। और यह किसी भी आयु का व्यक्ति कर सकता है।
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